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Khamoshi
Khamoshi
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Author : Anuradha Chatterjee
खामोशी—यह शब्द सुनते ही एक गहरा सन्नाटा मन में समा जाता है। यह एक ऐसा अनुभव है जो बाहरी शोर से परे, आत्मा की गहराइयों में बसा होता है। खामोशी का अर्थ केवल मौन रहना नहीं, बल्कि यह उन भावनाओं का संकलन है जो शब्दों में नहीं समातीं।
जब हम खामोश होते हैं, तब हमारी आत्मा की आवाज़ स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। यह वह पल होता है जब हम अपने भीतर झांकने का अवसर पाते हैं। खामोशी हमें आत्मचिंतन का समय देती है और हमारे विचारों और भावनाओं से परिचित कराती है।
खामोशी का अपना एक विशेष महत्व है। यह हमें अपने भीतर की शांति को अनुभव करने का अवसर प्रदान करती है। जब चारों ओर शोर हो, तब खामोशी ही सुकून देती है। कभी-कभी, शब्दों की बजाय खामोशी ही सब कुछ कह देती है।
रिश्तों में भी खामोशी की एक खास भूमिका होती है। यह वह क्षण होता है जब बिना शब्दों के भी एक-दूसरे की भावनाओं को समझा जा सकता है। खामोशी विश्वास और अपनत्व का प्रतीक होती है।
खामोशी हमें यह सिखाती है कि हर समय बोलना आवश्यक नहीं होता। कभी-कभी, चुप रहकर भी बहुत कुछ कहा जा सकता है। खामोशी में एक अनकही गहराई होती है, जो हमें अपनी आत्मा के करीब लाती है और हमारे असली रूप से परिचित कराती है।
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