Evincepub Publishing
Konark Ke Aansoo
Konark Ke Aansoo
Couldn't load pickup availability
Author Name : Santosh Mohanty 'Deep'
"इस खण्ड काव्य में बताया गया है उत्कल के महाप्रतापी महाराजा नरसिंह देव द्वारा राज्य पर आक्रमण करने वाले आतताई तुघरिल तुघन खान पर विजय प्राप्ति के उपलक्ष में कोणार्क में सूर्य मन्दिर के निर्माण का संकल्प किया जाता है । इस निर्माण कार्य को महान शिल्पकार बिशु महाराणा के निर्देशन में १२०० शिल्पकारों द्वारा बारह वर्ष में पूर्ण करने की चुनौती दी जाती है । इस प्रकल्प को पूर्ण करने में प्रधान शिल्पी को अपनी गर्भवती प्रिय पत्नी को छोड़ कर जाना होता है, जो बाद में एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम धर्मपद है जो वास्तव में इस खंडकाव्य का प्रमुख पात्र है । विभिन्न घटनाक्रमों को समावेशित कर खंडकाव्य को प्रवाह दिया गया है ।
एक अबोध बालक धर्मपद की प्रेरणाप्रद गाथा जो कर्तव्यबोध एवं त्याग से परिपूरित है मन को भीतर तक प्रभावित करती है । जब तक कोणार्क का मन्दिर रहेगा, सागर रहेगा, धर्मपद अनंत काल तक– ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई’ का सन्देश देता हुआ अमर रहेगा । "
Share
