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NARAZGI
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Author : Tarkeshwar Shah
हर कविता या अन्य किसी भी साहित्यिक विद्या के पीछे कोई न कोई कारण छिपा होता है तभी वह विद्या लिखी जाती है यह कारण कैसे किसी भी प्रकार से बन सकते या हो सकते है या फिर बन जाते या हो जाते है | यह अपनी परिस्थितियो से या दूसरों के द्वारा बनाए या निर्मित किए जाते है | ये प्रसन्नाता दुख या किसी अन्य स्थिति परस्थिति मे हमारे भीतर घर कर लेते या भीतर अपनी जगह बनाकर कुछ समय के लिए दिलो दिमाग मे रहने लग जाते है और धीरे धीरे ये बड़ा रूप लेकर पीछे की घटना या परिघटनाओ को याद करते हुए या कल्पनाओ के सहारे आगे बढ़कर किसी भी साहित्य की विद्या का रूप लेकर पाठको व श्रोताओ के सामने कवि या लेखक की इच्छा से आते है और इनको अपनी रुचियो के हिसाब से उस पर पाठक श्रोता अपने विचार या सुझाव देते है | किन्तु किसी की पसंद नापसंद देखे बिना साहित्य का काम लिखा जाना है इसका उद्देश्य कुछ भी हो सकता है जैसे अपनी प्रसन्नता के लिए अपनी रुचि व शौक से धनोपार्जन के लिए अपने विचार सुझाव या कल्पना की शक्ति दूसरों तक पहुचाने के लिए या फिर कोई अन्य जो कवि या लेखक मानते हो सबके लिए सभी अच्छे या सबके लिए सभी बुरे भी नही होते , इसलिए मन मे इच्छा है या इच्छा जगती है तो यह लिखा और व्यक्तियों द्वारा किसी के बारे मे या किसी के स्वभाव या विचारो को जानने और हो सके तो उनमे से कुछ पर अमल करने की कोशिश करने के लिए पढ़ा भी जाना चाहिए |
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